Saturday, March 21, 2020

Maa ❤️

दुनिया मे है कईं नियमतें,
उनमें सबसे बढ़कर माँ ।।
जन्म दिया,लाजों से नवाज़ा
रखा हमेशा सटकर माँ ।।

भूख लगी तो लहू पिलाया,
हुई कष्ट मुझे,दिल घबराया,
रैन को अपना,दिन बनवाया,
पोत-थाप मुझे,चैन सुलाया,

चलना-फिरना तुझसे सीखा,
गिरा-परा तो तुझको चीखा,
रहूँ सामने ,खुश रहे तू,
नहीं दिखूं तो ,चेहरा फ़ीका,

गर मुझको कोई ज़ख्म लगे तो,
दर्द में तू भी रोती माँ ।।
मुझको गर तकलीफ हुई तो,
चैन से तू न सोती माँ ।।

अक्षर पहला तूने सिखाया,
लायक तूने मुझे बनाया;
सही-गलत का पाठ पढ़ाया,
किया गलत तो चपत लगाया;

उठ-सुबह मुझे स्कूल भिजाई,
पढ़ने की क़ीमत बतलायी;
मतलब की दुनिया,समझाई,
किया हठ तो,कर दी पिटाई;

त्याग ज़िन्दगी, तूने मुझको,
जां अपना बनवाया माँ ।।
स्नेह ने तेरी,इस जीवन में,
हर्ष के रंग खिलाया माँ ।।

बेशक़ीमती तेरी ममता,
तुझसे मेरी दुनिया समता;
तू आगे तो,सारी ख़ुदाई,
तू ना हो,बन जाऊं रमता;

तेरे अंश का टुकड़ा हुँ मैं,
छोड़ तुझे ,मेरा जहां नही;
मंदिर-मस्जिद तू ही मेरी,
लगती है तू,खुदा सी ही;

सबसे सुंदर दृश्य है तेरी,
ये मुश्काती सूरत माँ।।
जन्नत है कदमों में तेरे,
ममता की तू मूरत माँ।।

तेरी ये तकलीफ देखकर,
दर्द मुझे भी होता है;
पीड़ में जो तू कराह रही है,
दिल मेरा भी रोता है;

तेरी हालत ऐसी है क़ी,
चिंता मुझको सता रही;
भूख-चैन ना मिलती मुझको,
नींद का कोई पता नही;

ज़ल्द ही तुझको शिफ़ा अता हो,
दुआ ये मेरी सबसे माँ।।
खिल उठ जाए, तेरा चेहरा
आश यही मेरा रब से माँ ।।

दुनिया मे है कईं नियमतें,
उनमें सबसे बढ़कर माँ ।।
जन्म दिया,लाजों से नवाज़ा
रखा हमेशा सटकर माँ ।।


~~~~✍️✍️✍️~~~~~~

Aazaad
(The first child)