Friday, May 1, 2020

Happy birthday

हैप्पी बर्थडे लड़के !! ❤❤😘😘

पता नहीं तुम में ऐसा क्या है जो तुमसे इतनी ज़्यादा मुहब्बत है ! इतनी शिद्दत से तो कभी किसी से मुहब्बत नहीं की मैंने...हमेशा, हर रिश्ते में एक दूरी बनाए रखी लेकिन तुम तो मुझसे ज़्यादा मेरे वजूद का हिस्सा बन गए हो...ख़ुद को तुम से अलग करके देखना भी दुश्वार है मेरे लिए ! बहुत डर लगता है तुम्हारी नाराज़गी से और उससे भी ज़्यादा तुम्हारी ख़ामोशी से ! तुमसे दूर होने के ख़्याल से ही मेरी साँसें रुकने लगती हैं, दिल पागलों की तरह ज़ोर ज़ोर से इस तरह धड़कने लगता है मानों वो पसलियों के पिंजरे को तोड़कर बाहर आ जाएगा, पलकें झपकने से डर लगने लगता है कि कहीं मेरी आँखें बंद हों और तुम मुझसे दूर चले जाओ....

पता है ! तुम्हारे आने से पहले दिल का बोसीदा मकान घुप्प अँधेरे में डूबा, पलस्तर उधड़ी हुई दीवारों, मकड़ियों के जाले लगी छत और जर्जर दरवाज़े का बोझ उठाए बमुश्किल अपनी नींव पे खड़ा था या शायद नींव ही नहीं थी उसकी! दरवाज़े पे पड़े बरसों पुराने ताले की चाभी कहीं बहुत दूर किसी अंधे कुँए में गुम हो चुकी थी...दरवाज़ा बन्द था हमेशा-हमेशा के लिए.....

हो सकता था कि कोई उस दरवाज़े को धक्के देकर गिरा देता और ज़बरदस्ती दाख़िल हो जाता मकान के अंदर लेकिन शायद मकान उसे कभी क़ुबूल नहीं कर पाता उल्टे उसके अंदर का अंधेरा, घुटन और सन्नाटा मज़ीद बढ़ जाता और उस शख़्स के लिए वो जगह नाक़ाबिले बर्दाश्त हो जाती और फिर आख़िरकार वो उकताकर मकान छोड़कर चला जाता........

लेकिन तुम ! तुमने कितने सब्र के साथ दरवाज़े के खुलने का इंतज़ार किया...अपने इश्क़, अपने जज़्बों की हरारत से पिघलाते रहे तुम उस ताले को और तब भी जब के वो ताला पिघलकर गिर पड़ा, तुमने दरवाज़ा नहीं खोला...बस दरवाज़े को हौले-हौले खटखटाते रहे और तुम्हारा इश्क़ अपनी धीमी आवाज़ में पुकारता रहा उस मकान के किसी अँधेरे कमरे में मुद्दतों से सोयी हुई मुहब्बत को...और फिर मोहब्बत ने धीरे से अपनी आंखें खोलीं और काफ़ी देर तक बेयकीनी की सी कैफ़ियत में सुनती रही वो आवाज़ और देखती रही उस आवाज़ के जुगनुओं को चारों ओर फैली अँधेरे की हस्ती से लड़ते हुए ! मोहब्बत हौले से मुस्कुराई, अपना लड़खड़ाता वजूद संभाला और आगे बढ़कर दरवाज़ा खोल दिया और तुम इस तरह चले आए मकान के अंदर जैसे ये मकान हमेशा से सिर्फ़ तुम्हारा ही था ...तुम्हारी आँखों में जलती वफ़ा की कंदीलों से घबराकर बरसों से उस मकान में पैर पसारे बैठा अंधेरा एक कोने में जाकर सिमट गया और उम्मीद के सैकड़ों जुगनू एक साथ टिमटिमा उठे...और तुमने अपने इश्क़ को दिया बनाकर मकान की चौखट पे रख दिया ! 

उस मकान को तुम्हारी आमद ने घर बना दिया....वो घर जहाँ तुम्हारे इश्क़ के काँधे पे सर रखकर बैठी मेरी मोहब्बत आँखें मूँदे भीग रही है तुम्हारी वफ़ा की बारिशों में, कोई बहुत ख़ूबसूरत सपना उसकी पलकों पे ठहरा हुआ है, नन्ही-मुन्नी उम्मीदें फुदक रही हैं उसके इर्द-गिर्द...तुम हो तो इन सबका वजूद है, अगर तुम चले गये तो सब कुछ इस तरह ख़त्म हो जाएगा जैसे अचानक आये ज़लज़ले से पूरी आबादी तहस नहस हो जाती है और बस बचे रह जाते हैं मलबे, लाशें और चीखें जो मलबों से बाहर नहीं जा पातीं......

( तस्वीर पिछले बर्थडे की है, तहरीर उससे भी पिछले बर्थडे की और जज़्बात हर गुज़रते बरस के साथ पहले से ज़्यादा नए, ताज़े और कोरे ...❤❤😌)

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